एक चाँद अधूरा
एक रात अकेली
एक मैं बैठा अपने घर में
एक सुबह का सूरज
एक शाम का साया
एक मेरे घर में तेरी फोटो
एक नुक्कड़ पे पान की दूकान
एक तेरे घर की बड़ी सी खिड़की
एक हर शाम का नया बहाना
एक रेडियो के रोमांटिक से नगमे
एक एग्जाम्स की जागती हुई राते
एक किताबो में तेरा नाम छुपाना
एक सर्दी में ठिठुरती साँसे
एक बारिश में भीगता आँचल
एक तुमने जो मुझे पुकारा
एक टप टप टपकती बारिश की बूंदे
एक दीवार पे लटकी घड़ी की टिक टिक
एक हर साँस पे मैं तुझको बुलाऊँ
-तरुण
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