जब हम दोनों साथ में
Rose Garden में घूम रहे थे
और एक फूल को देखकर
मैं उसे तुम्हे देने के लिए तोड़ने गया था
मगर तुमने मूझे रोक दिया था
कहा था फूल अपनी बगियाँ में ही अच्छे लगते है
वो फूल अब तक वहीँ महक रहा है
और अब जब जब भी मैं
तनहा अकेला उसके करीब से गुजरता हूँ
वो मेरी तरफ एक नज़र उठाकर
मायूसी से पूछता है
वो आज भी नहीं आयी क्या ?
-तरुण
bahut umda kavita hai.....
जवाब देंहटाएं'rose garden' ka zikr aaya to chandigarh ki yaad aayi!
aapne bahut accha likha hai.
जवाब देंहटाएंMUJHE aapka blog pad ke bahut hi accha laga .Aur blog ka thems bhi accha hai.