कब से ढूंढ रही है आँखे तुझको
कबसे कानो में तेरी आहट की बेताबी है
जानता हूँ तू बहुत दूर है लेकीन तेरी एक परछाई मेरे पास भी है
कल देखा था तुझे मैंने अपने आँगन में
सामने बैठकर कुछ देर तलक बात भी की
आँख खुली तो ख्वाब लगा ये लेकीन हर कल एक ख्वाब ही है
कल रात चाँद में देखा था तेरा चेहरा
सुबह आयी थी ओड़कर चुनरी तेरी
शाम तक अब सब्र नही होता, तेरी जुदाई की धूप जल रह हूँ मैं
कौन है आया है देखो दरवाज़े पे हुई है दस्तक
बीते हुए पल आये है तेरी यादों का गुलदस्ता लेकर
मैंने दरवाजा खुला रखा है आओ हम लगाए कुछ फूल नए ॥
-tarun
(written at foster city, CA on 11/18/2007)
कबसे कानो में तेरी आहट की बेताबी है
जानता हूँ तू बहुत दूर है लेकीन तेरी एक परछाई मेरे पास भी है
कल देखा था तुझे मैंने अपने आँगन में
सामने बैठकर कुछ देर तलक बात भी की
आँख खुली तो ख्वाब लगा ये लेकीन हर कल एक ख्वाब ही है
कल रात चाँद में देखा था तेरा चेहरा
सुबह आयी थी ओड़कर चुनरी तेरी
शाम तक अब सब्र नही होता, तेरी जुदाई की धूप जल रह हूँ मैं
कौन है आया है देखो दरवाज़े पे हुई है दस्तक
बीते हुए पल आये है तेरी यादों का गुलदस्ता लेकर
मैंने दरवाजा खुला रखा है आओ हम लगाए कुछ फूल नए ॥
-tarun
(written at foster city, CA on 11/18/2007)
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