तुमको देखे ज़माने बीत गए
प्यार के दिन सुहाने बीत गए
जाम उठाकर कैसे भूलेंगे तुम्हे
मय गयी महखाने बीत गए
रोये भी तो अब कौन सुनेगा हमे
रोने के सब बहाने बीत गए
कहाँ जाकर मिलेंगे तुझे यह बता
छिपने के सब ठीकाने बीत गए
मैं भी चुप हूँ तू भी गुमसुम है
तेरे गीत मेरे तराने बीत गए
-तरुण